ऐसा क्यूँ करती हो , तुम बार-बार, कि मेरी आँखों से पहुँच कर, मेरे दिल मे उतर जाती हो. और मैं फिर, एक द्वंद मे फँस जाता हूँ. …
Read moreफ़ुर्सत अगर होता तो हक़ीकत बयान करते, बातों से नही अपनी नगमों से दास्तान कहते, ज़िंदगी की इस भीड़ ने दो राहे पर खड़ा कर दिया वरना, मं…
Read moreबैठा रहा मैं एक किरदार सा बनके, उलझी हुई तस्वीर का आकार सा बनके, हमारी इबादत कभी मुकम्मल ना हुई, बीच भवंर मे फंस गये मझधार …
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